रक्षा बंधन (Happy Raksha Bandhan 2020)
Raksha bandhan रक्षा बंधन के दिन कलाई में रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा बरसोसे चली आ रही है। यह उत्सव भाई बहनों का है। इस दिन बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती हैं, और भाई उसके रक्षा करने का वचन देते हैं। यह उत्सव सावन महीने में मनाया जाता है। इस साल यानी 2020 में रक्षा बंधन 3 अगस्त(अगस्त) को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त 9:31 से शुरू होकर 21:15 तक रहेगा।

बहना ने भाई की कलाई से प्यार बाँधा है, प्यार के दो तार से संसार बाँधा है… सुमन कल्याणपुर द्वारा गाया गया यह गाना रक्षा बंधन का बेहद चर्चित गाना है। भले ही ये गाना बहुत पुराना न हो पर भाई की कलाई पर राखी बाँधने का सिलसिला बेहद प्राचीन है। रक्षा बंधन का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता से जुडा हुआ है। वह भी तब जब आर्य समाज में सभ्यता की रचना की शुरुआत मात्र हुई थी।
रक्षाबंधन का महत्व
असल में रक्षा बंधन की परंपरा ही उन बहनों ने डाली थी जो सगी नहीं थीं। भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो लेकिन उसी बदौलत आज भी इस त्योहार की मान्यता बरकरार है। इतिहास के पन्नों को देखें तो इस त्योहार की शुरुआत की उत्पत्ति लगभग 6 हजार साल पहले बताई गई है। इसके कई साक्ष्य भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। रक्षा बंधन पर बहुत सारी कथाएं हैं, चलिए जानते हैं रक्षा बंधन कहां से शुरू हुआ यानी रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई
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रक्षाबंधन का इतिहास
इतिहास का एक उदाहरण कृष्ण व द्रोपदी को माना जाता है। कृष्ण भगवान ने दुष्ट राजा शिशु पाल को मारा था। युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएँ हाथ की अँगुली से खून बह रहा था। इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की अँगुली में बाँधा जिससे उनका खून बहना बंद हो गया।
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दूसरा उदाहरण अलेक्जेंडर व पुरू के बीच का माना जाता है। कहा जाता है कि हमेशा विजयी रहने वाला अलेक्जेंडर भारतीय राजा पुरू की प्रखरता से काफी विचलित हुआ। इससे अलेक्जेंडर की पत्नी काफी तनाव में आ गईं थीं।
उसने रक्षा बंधन के त्योहार के बारे में सुना था। सो, उन्होंने भारतीय राजा पुरू को राखी भेजी। तब जाकर युद्ध की स्थिति समाप्त हुई थी। क्योंकि भारतीय राजा पुरू ने अलेक्जेंडर की पत्नी को बहन मान लिया था।
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रक्षा बंधन का त्यौहार कैसे मनाए?
रक्षाबंधन भाई बहनों का अटूट प्रेम को दर्शाता है। बहन एक थाल मे एक दिया, तिलक करने के लिए चंदन, अक्षत, राखी और मिठाई रखती है।भाई को सबसे पहले वह तिलक लगाते हैं। उसके बाद माथे पर अक्षत छिटती है और आरती करती हैं।फिर कलाई में राखी बांधती है, और मिठाई खिला देती है।उसके बाद भाई उसे उपहार देते हैं।
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रक्षाबंधन पर्व पर जहाँ बहनों को भाइयों की कलाई में रक्षा का धागा बाँधने का बेसब्री से इंतजार है, वहीं दूर-दराज बसे भाइयों को भी इस बात का इंतजार है कि उनकी बहना उन्हें राखी भेजे। उन भाइयों को निराश होने की जरूरत नहीं है,जिनकी अपनी सगी बहन नहीं है, क्योंकि मुँहबोली बहनों से राखी बंधवाने की परंपरा भी काफी पुरानी है।