इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल हमेशा चर्चा में बना रहता है| सीजन शुरू होने से पहले से लेकर सीजन के अंत होने तक आप आईपीएल, आईपीएल और आईपीएल ही सुनते हैं| अब इंडियन प्रीमियर लीग का 14 मा सीजन शुरू हो गया है, लेकिन उससे पहले एक बार फिर से यह चर्चा का विषय बन चुका है और इस बार चर्चा का कारण है बायो बबल (Bio Bubble)
Bio Bubble (बायो बबल) खिलाड़ियों के लिए सिरदर्द बन गया है
Bio-Bubble (बायो बबल) खिलाड़ियों के लिए सिरदर्द बन गया है और बहुत से खिलाड़ी इसपर सवाल उठा रहे हैं| बहुत से खिलाड़ी एक-एक करके अपना नाम वापस ले रहे है, इसी कड़ी में एक नाम आया ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड (Josh Hazlewood) का जिन्होंने चेन्नई सुपर किंग से अपना नाम वापस ले लिया है और उन्होंने कहा कि मैं (Bio Bubble) बायो बबल में वक्त बिताने की बजाय मैं अपने घर पर रहना ज्यादा पसंद करूंगा उनका कहना है कि बायो बबल और क्वॉरेंटाइन में वैसे ही उन्हें 10 महीने हो गए हैं इसलिए वह क्रिकेट से ब्रेक लेने का फैसला कर रहे हैं और अपने घर पर अगले 2 महीने बिताएंगे|
इससे पहले विराट कोहली ने भी इसपर सवाल उठाए थे, हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज खत्म हुई है, उसके बाद से बाहर निकल कर वह अपने घर पहुंचे और अब फिर से वह बायो बबल (Bio Bubble) में वापस आ गए हैं|

क्या है ये बायो बबल (Bio Bubble)?
सारे खिलाड़ी कह रहे हैं कि भविष्य के कार्यक्रमों पर हमें ध्यान देना चाहिए क्योंकि बायो बबल में खेलना कठिन होता है| बायो बबल (Bio Bubble) दरअसल नया शब्द नहीं है यह पिछले साल भी चर्चा में था जब आईपीएल भारत से बाहर खेला गया था|
होता क्या है बायो बबल (Bio Bubble)?
बायो बबल (Bio Bubble) को इको बबल भी कहते हैं| यह एक तरीके का सिक्योर वातावरण होता है, जिसमें सभी खिलाड़ी, कोच, सपोर्ट स्टाफ, मैच ऑफिशियल ये सभी लोग जितने भी उसमें से जुड़े होते हैं वह सिक्योर वातावरण में रहते हैं| इसे कल्पना करके समझ गए कि एक ऐसी दुनिया आपके आसपास क्रिएट कर दी जाती है जहां आप बाहरी दुनिया से कट जाते हैं| क्वॉरेंटाइन जिस तरीके से होता है कुछ कुछ वैसा, लेकिन यहां पर सख्ती उससे ज्यादा होती है|
इस बायो बबल (Bio Bubble) में जो लोग जाते है वह बाहर की दुनिया से पूरी तरह कट जाते है, यहां तक कि जो कोरोना टेस्ट करने वाली मेडिकल टीम होगी उसे भी इसका पालन करना होगा| वह भी इस बायो बबल से बाहर नहीं जा सकती, इसके घेरे में वह तमाम लोग आते हैं जो कोरोना टेस्ट से पहले गुजर चुके हैं और पूरी तरह से संक्रमण से दूर है| यानी उनकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव हो, आप तभी बायो बबल (Bio Bubble) मैं जाते है|
जैसे पिछले साल हुआ था, जब आईपीएल में खिलाड़ी भाग लेने पहुंचे तो खिलाड़ियों से लेकर कुछ सपोर्ट स्टाफ जब रवाना हो रहे थे, तो उससे पहले उन्होंने दो बार Covid -19 का टेस्ट करवाया था, जब रिपोर्ट नेगेटिव आई उसके बावजूद सभी को 7 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया और फिर क्वारंटाइन होने के बाद बबल में शामिल किया गया|
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बायो बबल मैदान से लेकर होटल तक बनाया जाता है
इस बबल के अंदर जितने लोग होते हैं, आप केवल उन्हीं से मिल सकते हैं, यहां तक कि आपके फ्रेंड, आपके दोस्त, आपके रिश्तेदार कोई आपसे नहीं मिल सकते है, खिलाड़ियों के लिए बबल अलग बनाया जाता है और जो मैच का प्रसारण करने वाली टीम होती है जो कमेंटेटर होते हैं, उनके लिए अलग बबल तैयार किया जाता है| यानी खिलाड़ी आपस में मिल सकते हैं| स्टाफ होता है वह आपस में मिल सकता है और सबसे बड़ी बात सीरीज जब तक पूरा नहीं हो जाता आपको इससे बाहर आने की इजाजत नहीं होती| बेहद ज्यादा विकट परिस्थिति हो तब बाहर जाने वालों को बबल में लौटने से पहले क्वारंटाइन होना पड़ता है फिर से वही प्रोसेस करनी होती है तब आप वापस आते है|
बीसीसीआई के मुताबिक अगर कोई भी इसे तोड़ता है तो वह कोड ऑफ कंडक्ट का दोषी माना जाएगा और उसके तहत मैचों का प्रतिबंध भी लग सकता है| इसी सिलसिले में खिलाड़ियों का कहना है कि बीसीसीआई ने जो नियम तैयार किए हैं वह बेहद सख्त है आप जानते हैं जब कोरोना नहीं था तो आपसे मिलने कोई भी आ जा सकता था आप मैदान में किसी से भी मिल सकते थे अपने होटल में किसी से भी मिल सकते थे आप के साथ आपका परिवार जाता था आपकी पत्नी आपके बच्चे भी जाया करते थे|
लेकिन अब किसी को जाने आने की इजाजत नहीं है मैदान भी खाली है इसके बावजूद अगर आप बायो बगल में रहते हैं और उसके बाद बाहर निकल कर उस मैच के बाहर आते हैं और फिर से अगले टूर्नामेंट में जाने के लिए बायो बबल की तैयारी आपको करनी पड़ती है, तो यह एक तरीके का मानसिक प्रेशर आपके ऊपर आता है, अब आईपीएल शुरू हो रहा है और 30 मई तक चलेगा ऐसे में बायो बबल का पालन करना बहुत मुश्किल है|